समंदर नही उफनता

मछलियां अब बारिश में
भींगनें को मजबूर है
क्योंकि समंदर  कल  शाम से 
औंधे मूंह पड़ा  है

साहिल  की  उदासी  में
चाँद  झलकता है  
लहरों की  जल समाधि में
सूखी पडी है नमी जमीन की 

शोर  है  किनारों  पर 
दिल सूना धडकनो से
छुपा ली है लम्स समंदर ने
लहरों के
अपने  दामन  में 

धरती के सीने पर
समंदर नही उफनता अब
क्योकि चाँद पर पानी मिला है   !!!     
     

11 comments:

  1. मछलियां अब बारिश में
    भींगनें को मजबूर है
    क्योंकि समंदर कल शाम से
    औंधे मूंह पड़ा है

    क्या बात है, बहुत सुंदर
    बधाई

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  2. चाँद पे पानि मिला है ... क्या खूब लिखा है ... पर समुन्दर तो फिर भी चंद को पाने के लिए उछलेगा ...

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  3. धरती के सीने पर
    समंदर नही उफनता अब
    क्योकि चाँद पर पानी मिला है

    behatreen likha hai.....

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  4. लहरों कि जल समाधि में ज़मीं का सूखा होना ... बहुत खूब

    शोर है किनारों पर
    दिल सूना धडकनो से
    छुपा ली है लम्स समंदर ने
    लहरों के
    अपने दामन में

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  5. शोर है किनारों पर
    दिल सूना धडकनो से
    छुपा ली है लम्स समंदर ने
    लहरों के
    अपने दामन में

    बहुत ही बढ़िया।

    सादर

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  6. वाह .... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  7. विरोधाभास के माध्यम से सुंदर अभिव्यक्ति.

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  8. मछलियां अब बारिश में
    भींगनें को मजबूर है
    क्योंकि समंदर कल शाम से
    औंधे मूंह पड़ा है ..
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..सादर !!

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