वह बेटी नही ,माँ की ममता है

वह गंगा है
जो फुटकर
अपनी शीतलता का एहसास कराती
एक मासूम कली

जन्म लेने और
मरने से पहले
बोल पडी 

मत रोको
पहचानो उसे
बहने दो
कोई श्रोत है वह

सुखते दरख्तो में
ठूँठ शाखो पर
कोंपलों को तो आने दो
तपते जिंदगी को छाँव दो
ममता की मुरत को
आने तो दो !!!

12 comments:

  1. मत रोको
    पहचानो उसे
    बहने दो
    कोई श्रोत है वह
    ..... पूर्णतः सहमत हूँ ..
    सुंदर भवाओं से अत्प्रौत भावमयी प्रस्तुति....सुंदर कविता..!!

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  2. बहुत भावमयी सुन्दर रचना।

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  3. गहन भावों का समावेश हर पंक्ति में ।

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  4. सुखते दरख्तो में
    ठूँठ शाखो पर
    कोंपलों को तो आने दो
    तपते जिंदगी को छाँव दो
    ममता की मुरत को
    आने तो दो !!!

    बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने।

    सादर

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  5. बेहद भावमयी प्रसतुति. आभार.

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  6. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना आभार .....

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  7. ममतामयी रचना .. अच्‍छी प्रस्‍तुति !!

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  8. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना

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  9. बेहतरीन प्रस्तुती....

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  10. सुंदर , सार्थक संदेश ।

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