जरूर एक कविता हो

जलती हुई होनी चाहिये
एक कविता
भूख की आग की तरह
जिसमे जले एक एक अक्षर
विषमता के
खाक हो विषम धारणाये
जरूर एक कविता हो 

अन्न से पैदा हो उर्जा
और गरीबी लाठी टेकना छोडे
विषम लपट में 
मरने और मिटने वालो पर  
जरुर एक कविता हो  

बंजर जमीन पर जख्म रिसते रहे  
धोखा फलते और फुलते रहे 
कांटो के अततायी चूभन पर
जरुर एक कविता हो

बढ रहे नाखूनो के
काटने के सही तरीको पर और
उनके उंगलियो से बचा लिये गये
मासूमो के खुशी पर
जरुर एक कविता हो

बंदरो की टोली में 
नन्हें मासूम बिलखते रहे 
रिश्तो की गर्मी जो खोते रहे 
उनके अरमानो को सवारने पर
जरुर एक कविता हो

पत्थर तोडती माँओ के
पूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
गरीबी के जिस्म पर 
तार तार आंचल में
उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर 
जरुर एक कविता हो  !!

11 comments:

  1. बंजर जमीन पर जख्म रिसते रहे
    धोखा फलते और फुलते रहे
    कांटो के अततायी चूभन पर
    जरुर एक कविता हो ... प्रभावशाली

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  2. अन्न से पैदा हो उर्जा
    और गरीबी लाठी टेकना छोडे
    विषम लपट में
    मरने और मिटने वालो पर
    जरुर एक कविता हो

    सशक्त रचना ..

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  3. पत्थर तोडती माँओ के
    पूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
    गरीबी के जिस्म पर
    तार तार आंचल में
    उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर
    जरुर एक कविता हो....
    जबरदस्‍त भाव भरी कवि‍ता..

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  5. बेहद गहन और ह्रदयस्पर्शी कविता।

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  6. शाश्वत की काव्यात्मक अभिव्यक्ति...

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  7. आपकी कविता ने सोचने पर मजबूर कर दिया|
    बेहद उम्दा रचना|

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  8. ब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.

    स्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़

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  9. कविता और शब्द ...दोनों ही अलग से अपनी मौजूदगी करवा रहे हैं ...भाव बहुत अच्छे हैं ...और शब्द शब्द ..मन को स्पर्श करता है ...आभार

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  10. पत्थर तोडती माँओ के
    पूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
    गरीबी के जिस्म पर
    तार तार आंचल में
    उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर
    जरुर एक कविता हो !!----Bahut prabhavshali aur dil ko chhu lene vali kavita...Sandhya ji hardik badhai....

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  11. गहन अभिवयक्ति.......

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