tag:blogger.com,1999:blog-5633443552422358499.post6549370632015936574..comments2024-01-15T11:29:16.519-08:00Comments on हमसफ़र शब्द: चिराग यूँ ही नही जला करतेसंध्या आर्यhttp://www.blogger.com/profile/12304171842187862606noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5633443552422358499.post-1023770151987471912012-07-21T00:09:57.036-07:002012-07-21T00:09:57.036-07:00क्या कहने
बहुत बेहतरीन रचना...क्या कहने <br />बहुत बेहतरीन रचना...मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5633443552422358499.post-51460192840588138122012-07-13T22:57:24.686-07:002012-07-13T22:57:24.686-07:00एक जमीन हमनें ना बनाई
एक आकाश तूने ना बनाई
रिश्त...एक जमीन हमनें ना बनाई <br />एक आकाश तूने ना बनाई <br />रिश्तों के सर जमीन पर <br />वे कौन से मकान थे <br />जो बनते चले गये !!<br /><br />वाह सभी क्षणिकाएं बेहतरीनसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5633443552422358499.post-26899476007520631612012-07-13T09:28:53.970-07:002012-07-13T09:28:53.970-07:00डाल डाल गया
पात पात डोला
परिंदें की चाहत रही
छाँ...डाल डाल गया <br />पात पात डोला<br />परिंदें की चाहत रही <br />छाँव <br />पर वह बरगद ना मिला<br />जिसकी लटों से <br />भरी दोपहरी में <br />शीतलता टपकती थी !!<br />अनुपम भाव संयोजन से सजी गहन भावभिव्यक्ति...Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.com