गमों से पार हो
कश्ती
जला के दीप
करीब देख
अंधेरा हो घना
तो सुबह के साथ
सूरज को
करीब देख
मचलते अरमान को
गर गले लगाया तूने
तो दरिया को
करीब देख
हो सके तो लौट जा
आशियाने में
वरना आग को
करीब देख
जमीन और आसमान
मिलेंगे जरुर पर
उससे पहले
समंदर को
करीब देख
तेरी लेखनी में
वो दम है कि
छूते हुये आसमान को
करीब देख
वो है रहन्नुमा
कि तू बेफिक्र हो
साहिल को
करीब देख
माना मैंने आज की
शब्द है जादू तेरे
पर नादान दिल
तिलिस्म को
करीब देख !!
कश्ती
जला के दीप
करीब देख
अंधेरा हो घना
तो सुबह के साथ
सूरज को
करीब देख
मचलते अरमान को
गर गले लगाया तूने
तो दरिया को
करीब देख
हो सके तो लौट जा
आशियाने में
वरना आग को
करीब देख
जमीन और आसमान
मिलेंगे जरुर पर
उससे पहले
समंदर को
करीब देख
तेरी लेखनी में
वो दम है कि
छूते हुये आसमान को
करीब देख
वो है रहन्नुमा
कि तू बेफिक्र हो
साहिल को
करीब देख
माना मैंने आज की
शब्द है जादू तेरे
पर नादान दिल
तिलिस्म को
करीब देख !!