शब्द-शब्द उलझ जाने दे
कविता-कहानी से बहल जाने दे
रौशन रहेगा अक्षरों में लौ
एक गीत को गज़ल हो जाने दे
शाखों पर रुत आयेंगी और जायेंगी
मेघों को दरख्तो पर बरस जाने दे
राग और विराग का नाद बिखरा है यहाँ
सूरो को तालो के साथ सज जाने दे
सांस उल्झी हुई है धडकनों में रात-दिन
स्पर्श की ख्वाहिश को मुकम्मल हो जाने दे !!
कविता-कहानी से बहल जाने दे
रौशन रहेगा अक्षरों में लौ
एक गीत को गज़ल हो जाने दे
शाखों पर रुत आयेंगी और जायेंगी
मेघों को दरख्तो पर बरस जाने दे
राग और विराग का नाद बिखरा है यहाँ
सूरो को तालो के साथ सज जाने दे
सांस उल्झी हुई है धडकनों में रात-दिन
स्पर्श की ख्वाहिश को मुकम्मल हो जाने दे !!