बच्चों के पैरो में बेबसी के
कोयले पोते जाते रहे
दूसरे किनारें पर लटकता सूरज
सुबह सुबह भूख उगाता रहा
पीने के लिये कीटनाशक मिलते
इतनी सडकें सख्त की चलना उसपर
मुश्किल तरीका बनता गया
भूले भटके लोंगो की तदाद इतनी
कि भीड में
आंखे अपनी पैर तलाशती
रातें ग़ीली होती थी और सपनें
घरो में टंगे सूखते मिलते
हाँथ कोसो दूर बंजर जमीन कोडती
और पेट भर भूख निकलता
गरजते बादल उमड घुमड के
कही और बरसते रहे
बिजलियाँ उनके कलेजे पर गिरती रही
दीवारें प्यासी ही ढहती गयी
मायूसियों में खामोशी की नुकीली दांत
नोंचते हुये गरीबी को आंख दिखाती रही
रौशनदान से एक गौरैया रोज आती
और एक तिनके से
घर को घर बनाती
आज महीनों बाद भी वह डूबा मिला
और शाम की तरह
मायूसी की चादर लपेटे हुये खामोश रहा
फूल जैसे सबसे सुंदर बच्चे कोयले की खादानों के
अंतर तल पर उसके इंतजार में
एक मूँठी प्यार लिये उसे पुकारते रहे
सबसे मिठ्ठी मासूम मुस्कानों के पीछे से
जरूर आयेगा वह
उनकी कविता लौटाने !!
कोयले पोते जाते रहे
दूसरे किनारें पर लटकता सूरज
सुबह सुबह भूख उगाता रहा
पीने के लिये कीटनाशक मिलते
इतनी सडकें सख्त की चलना उसपर
मुश्किल तरीका बनता गया
भूले भटके लोंगो की तदाद इतनी
कि भीड में
आंखे अपनी पैर तलाशती
रातें ग़ीली होती थी और सपनें
घरो में टंगे सूखते मिलते
हाँथ कोसो दूर बंजर जमीन कोडती
और पेट भर भूख निकलता
गरजते बादल उमड घुमड के
कही और बरसते रहे
बिजलियाँ उनके कलेजे पर गिरती रही
दीवारें प्यासी ही ढहती गयी
मायूसियों में खामोशी की नुकीली दांत
नोंचते हुये गरीबी को आंख दिखाती रही
रौशनदान से एक गौरैया रोज आती
और एक तिनके से
घर को घर बनाती
आज महीनों बाद भी वह डूबा मिला
और शाम की तरह
मायूसी की चादर लपेटे हुये खामोश रहा
फूल जैसे सबसे सुंदर बच्चे कोयले की खादानों के
अंतर तल पर उसके इंतजार में
एक मूँठी प्यार लिये उसे पुकारते रहे
सबसे मिठ्ठी मासूम मुस्कानों के पीछे से
जरूर आयेगा वह
उनकी कविता लौटाने !!