हर देश की अपनी मिट्टी है
और हर मिट्टी की अपनी कहानी है
मिट्टी के कणों मे
कही गाँव है तो कही शहर
पगडंडियो के गुम होने से
कही गाँव तन्हा और अकेला है
तो शहर अपने आप में
गुम हो जाने से, खौफजदा
पर कही ना कही
दर्द तो
अपनी मिट्टी की ही है ना
हम लाख
चमकीले और भड़कीले हो जाये
पर देश अपनी मिट्टी से जुदा कहां
और मिट्टी अपनी खुशबू से
हम दर्द के चादर पर
कई जोड़ी आँख संभाले बैठे है
और तुम कहते हो कि
मृत्यु तय है
पर खुशबू कहाँ मरती है !
और हर मिट्टी की अपनी कहानी है
मिट्टी के कणों मे
कही गाँव है तो कही शहर
पगडंडियो के गुम होने से
कही गाँव तन्हा और अकेला है
तो शहर अपने आप में
गुम हो जाने से, खौफजदा
पर कही ना कही
दर्द तो
अपनी मिट्टी की ही है ना
हम लाख
चमकीले और भड़कीले हो जाये
पर देश अपनी मिट्टी से जुदा कहां
और मिट्टी अपनी खुशबू से
हम दर्द के चादर पर
कई जोड़ी आँख संभाले बैठे है
और तुम कहते हो कि
मृत्यु तय है
पर खुशबू कहाँ मरती है !