बारिश नहीं बरसेगी
रातें नहीं तरसेंगी
नींद अपने स्वपन में उतरेगी
उम्मीद
किसी डाल की चिड़ियाँ नहीं
जो फुर्र से उड़ जाए
एक पल या दो पल बैठकर
रोकना है तो रोक लो
अनंत असंख्य जघन्य
नुकीले कीलों को गड़ने से
दीवारों में कैद साँसें
अब बगावती है
टूट जायेंगी दीवारे
एक अदद खिड़की के लिए
मंजिल
अपना रास्ता
आखिर तलाश ही लेती है !
रातें नहीं तरसेंगी
नींद अपने स्वपन में उतरेगी
उम्मीद
किसी डाल की चिड़ियाँ नहीं
जो फुर्र से उड़ जाए
एक पल या दो पल बैठकर
रोकना है तो रोक लो
अनंत असंख्य जघन्य
नुकीले कीलों को गड़ने से
दीवारों में कैद साँसें
अब बगावती है
टूट जायेंगी दीवारे
एक अदद खिड़की के लिए
मंजिल
अपना रास्ता
आखिर तलाश ही लेती है !