भीड़ बहुत है
सबने अपना अपना सामान बाँध लिया हैं
और जो छूट रहें है
उनका पता कही खो जायेगा गुमराह राहों के बीच
बहुत दूर जाना है
कही दूर मंजिल भी है
पर रास्तों का
कही कोई अपना ठिकाना भी तो नहीं है
वजह कुछ ऐसी है कि
सघन हताशा और निराशा के बीच सबको सफ़र करना है
घर के अन्दर कई दीवारे हैं
और उन दीवारों पर
तस्वीरें टिकती भी तो नहीं !
सबने अपना अपना सामान बाँध लिया हैं
और जो छूट रहें है
उनका पता कही खो जायेगा गुमराह राहों के बीच
बहुत दूर जाना है
कही दूर मंजिल भी है
पर रास्तों का
कही कोई अपना ठिकाना भी तो नहीं है
वजह कुछ ऐसी है कि
सघन हताशा और निराशा के बीच सबको सफ़र करना है
घर के अन्दर कई दीवारे हैं
और उन दीवारों पर
तस्वीरें टिकती भी तो नहीं !