तमाम यादों से बनी
एक रात को
सपनों ने उसे बाहर किया तब
समन्दर में लहरें बहुत तेज
उठ-उठकर ठीठक रहीं थीं तब
वही किनारे पर बैठी हुई बची जिन्दगी ने
उसे नई सुबह का इंतजार करने को कहा
रौशन जहान में
माना की सितारे टूटते भी हैं
तुम जिन्दा रहो
उम्मीद का क्या
बनता और बिगडता भी है
पर याद उस दीपक की रखो
गहरे अंधेरें में भी
जो तुम्हें जीने का हौसला देता है !