नीले पीले जमीन पर

अवसाद में
जब आप टटोलते हो
जमीन
जहां ठंडक और छांव मिलस के
उसकी जगह आपको
कुछ नीले-पीले पत्तों वाली
जमीन देखने को मिले

आप सांस लेना चाहो
और ठीक उसी वक्त
ऊंच-नीच और उबड-खाबड जमीन पर
अपने आसपास के अधिकांश लोगों को
सिर्फ़ अपने तंबु लगाने के लिये
मरते मिटते देखो

ठीक ऐसे वक्त में
समंदर को भी उबलता पाओ
लहरों की तहस नहस सबने कर डाली है
तो ऐसे में
आप एक छोटी सांस तक भी ले पाओगे
जब जमीन दूर दूर तक सूखा हो
जहां अधिकांश लोग 
अपनी भूख चबाने में लगे हो! ! 

नया सबेरा आयेगा

गुलशन से रुखसत हुई
इस उम्मीद में कि
फ़ूल खिलेंगें


पर पत्थर पर
कब फ़ूल खिले हैं
पांव जख्मी थे
कांटे की सफ़र में
जमीन का जो हिस्सा
उसके हिस्से में आया
वह बंजर था


इंतजार में बैठी रही
एक नन्ही गौरैया की
जो खिंच लायेगी
सम्भावनाओं की एक तिनका
और बनायेगी
एक घोसला उम्मीदों की 
और सुबह के सिरहाने पर
उगेगा
फ़िर से एक नया सूरज

सोन चिड़िया

बडे शहर में
बडी बिमारियां निगलने लगी है 
इंसान को
बात आंखों से मुस्कुराने वाली लडकी की है 
जिसने अभी
ना गरमाहट देखी थी उगते सूरज का
और ना ही चांद देखा था चांदनी की
बस यादों में रहने को मजबूर कर गई
उन सभी लोगो को जो उसके अपनो में शामिल थे 
उसके मुस्कुराते होंठ
जब हाय और हेलो के लिये खुलते थे
तो मानो ऐसा लगता था कि
सामनवाले की खुशबू से लिपटी रही हो वर्षों
कुछ इसतरह से
प्रेम और स्नेह से भर देती थी वह सबको 
मेरी बिटिय़ां की मित्रमंडली जब भी इक्कठा होता हैं
तो नन्हीं गौरैयों की जामात लगती
ऐसा महसूस होता है अकसर
नन्हीं सोन चिड़ियों को अभी अभी पंख निकल रहा हैं
आकाश की ऊंचाई और गहराई मापने के लिये 
पर आज उसमें से एक
सुनहरे पंखों वाली सोन चिड़िया फ़ूर हो गई
इस वादे के साथ कि
मैं तो रहूंगी यादों में साथ
पर दिखाई नही दूंगी
कुछ इसतरह से आज
थोडे थोडे पंख बाकी सोन चिड़ियों के झड गये है
और सब बदहवासी में आकाश देख रही हैं 
ऐसे वक्त में वह हमेशा के लिये
हमारे चेहरे पर
वह अपनी दो मुस्कुराती आंखें छोड गई है
वैसे थोडा कम मुस्कुराती हूं
पर आज से थोडा ज्यादा मुस्कुराऊंगी
तुम्हारी याद को जिन्दा रखने के लिये
अय सोन चिड़िया !