जीवन पी जाती है
कई कई नदियां
और मछलियां तड़पती हुई
दम तोड देती हैं
लहरों ने बचाई
कई कई बार
कई कई जिन्दगियां
बावजूद इसके
सिकुड़ती गई गंगा
उछल कर
गिरती रही मछलियां
और सूख गई सब नदियां !!
कई कई नदियां
और मछलियां तड़पती हुई
दम तोड देती हैं
लहरों ने बचाई
कई कई बार
कई कई जिन्दगियां
बावजूद इसके
सिकुड़ती गई गंगा
उछल कर
गिरती रही मछलियां
और सूख गई सब नदियां !!
प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
tahe dil se shukriya aur aabhaar @Rajnish k jha ji !
Deleteजीवन पी जाती है
ReplyDeleteकई कई नदियां
और मछलियां तड़पती हुई
दम तोड देती हैं
बहुत सुंदर, क्या कहने
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeletetahe dil se shukriya @Ravikar ji !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ यथार्थ का सच दिखाती रचना हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई.
ReplyDelete