हम जिस जगह होते है वही खो जाते हैं

हमारे मर्म में
धरती और आकाश तत्व था
तलाश उन बादलों की थी
जिनके ना होने से
अकाल था और
काल कल्वित लोग थे

शब्द
दर्द के पुकार थे
रोकर थकते नहीं थे
वे पुन: पुनर्जीवित हो जाते थे

तूफ़ान में फँसे लोग
आँख से नहीं
सिर्फ़ दिल से देख पाते हैं,साहब
हम जिस जगह होते है वही खो जाते हैं ।