रुह एक सफ़ेद बिन्दी है

धरती की सतह पर
जिस्म इंद्रियों का एक संग्रह भर
और इसका नष्ट होना
नई संभावनाओं को जन्म देना है
और आकाश के नीलेपन पर
रुह एक सफ़ेद बिंदी है

जब तक रौशनी है
उसकी सतह पर हरियाली है
पर शरीर का संबंध
अंधकार से है
जो तमाम बौद्धिक इतिहास पर 
कई प्रश्न छोडता है

पहचान अस्तित्व से है 
और रौशनी की सहभागिता
इसे संभव बनाती है
मैं कोई जिस्म नही
मिट्टी भर हूँ
ख्वाहिश भी नही
उडती फ़िरती हवा भर हूँ  

उसके लिखे से जन्मी
सीधे शब्दों में
शब्दों की
एक बिंदी भर हूँ  
१२//२०१९