चांद तारों की बात
चांदनी में हो तो अच्छा लगता है
चांदनी में हो तो अच्छा लगता है
सुनहरे ख्वाबों की बात
चमन में हो तो अच्छा लगता है
चमन में हो तो अच्छा लगता है
नींद की बात पर
रात सुहानी लगती है
रात सुहानी लगती है
पर क्या करे
दस्तूरे-मोहबत में
बन्धन,बडी रेशमी लगता है
दस्तूरे-मोहबत में
बन्धन,बडी रेशमी लगता है
दहकते सूरज पर
एक नाम तेरा है
एक नाम तेरा है
जो जिन्दगी के बाद का सबेरा लगता है !
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-02-2019) को "बैरी के घर में किया सेनाओं ने वार" (चर्चा अंक-3260) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteसादर
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteसीधे दिल से की गयी भावुक मन की अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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