खास लोग थे जिन्हें
लोहे की फैक्टरी खोलना था
गरीबी की सारे मोम पिघल गये थे
और उनकी दहलीजें जला दी गई थी
जंगल में सूखी लकडियों की बाढ़ आ गई थी
और उनके रैन-बसेरों को जलाया जा रहा था
जो जीवन को जीना जानते थे
घातक नही उर्वरक थे
समाज की सुक्ष्म इकाई
लोहे की फैक्टरी खोलना था
गरीबी की सारे मोम पिघल गये थे
और उनकी दहलीजें जला दी गई थी
जंगल में सूखी लकडियों की बाढ़ आ गई थी
और उनके रैन-बसेरों को जलाया जा रहा था
जो जीवन को जीना जानते थे
घातक नही उर्वरक थे
समाज की सुक्ष्म इकाई
और इंसानियत के आधार भी
वर्दीधारी बंदूकवाले
उनके पीछे छोडे गये थे
ताकि जंगल को मिटाया जा सके
और पत्थरों को उगाया !
वर्दीधारी बंदूकवाले
उनके पीछे छोडे गये थे
ताकि जंगल को मिटाया जा सके
और पत्थरों को उगाया !
बहुत भावप्रणव रचना।
ReplyDeletesundar bhav
ReplyDeletebehtreen rachna..........
ReplyDeleteभावपूर्ण सुंदर रचना,,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
बहुत सुंदर संध्या
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