तू ज़रा करीब आ
तो पुछ लूं
कि उनका सूरज दूर क्यों है ?
चिराग़ सिर्फ
बंद दीवारो के बीच
सकून तौलते है
आ ज़रा करीब तो
चाँद तारे तोड़ लूं
उन्हें भी मय्यसर हो
उजाले
फेर जरा हाथ तो
वो नज़ारे जोड़ दूं !!
तो पुछ लूं
कि उनका सूरज दूर क्यों है ?
चिराग़ सिर्फ
बंद दीवारो के बीच
सकून तौलते है
आ ज़रा करीब तो
चाँद तारे तोड़ लूं
उन्हें भी मय्यसर हो
उजाले
फेर जरा हाथ तो
वो नज़ारे जोड़ दूं !!
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्या बात हैं .......
ReplyDeleteअति सुन्दर !
ReplyDeleteकोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?
sundar
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteक्या बात
wah.. bahut khubsurat...
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
ReplyDelete:-)