आसमान के नीचे की दुनिया सिमट गई थी
छ्तो की चौड़ाई बढती रही
और परिंदों के परों पर उड़ान भारी था
पत्थरों से टकराते रहे
सम्वेदी तंतुयें
प्यास बढ़ती रही और
पंख झड़ते रहे
बाजार की नजर में
दुनिया बिल्कुल गोल थी
और आदम जात एक वस्तु !!
छ्तो की चौड़ाई बढती रही
और परिंदों के परों पर उड़ान भारी था
पत्थरों से टकराते रहे
सम्वेदी तंतुयें
प्यास बढ़ती रही और
पंख झड़ते रहे
बाजार की नजर में
दुनिया बिल्कुल गोल थी
और आदम जात एक वस्तु !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
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ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
(¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
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bahut sundar ... diwali parv par hardik badhai ...
ReplyDeleteपत्थरों से टकराते रहे
ReplyDeleteसम्वेदी तंतुयें
प्यास बढ़ती रही और
पंख झड़ते रहे
संवेदनशील बात
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या कहने
पत्थरों से टकराते रहे
सम्वेदी तंतुयें
प्यास बढ़ती रही और
पंख झड़ते रहे
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं
शुक्रिया और आभार,आप सबको दीपावली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!
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