नन्हें आंखों को
कई चश्मे मिले
सांसो की सफर में
चश्में चढे आंखों की
तह में
एक कीड़ा रेंगता है
भय के पर्दे के बाहर
नही आता ,पर
अक्सर रात के सन्नाटो में
कई चश्मे मिले
सांसो की सफर में
चश्में चढे आंखों की
तह में
एक कीड़ा रेंगता है
भय के पर्दे के बाहर
नही आता ,पर
अक्सर रात के सन्नाटो में
आँखो के धुंधला जाने पर मातम मनाता है
रौशनी की चाहत में
रौशन दीये की तरह जलता भी है
एक कीड़ा
बेहद घनी जिंदगी के बीच
कुछ जाले बुनता है
नर्म और गुनगुना !
रौशनी की चाहत में
रौशन दीये की तरह जलता भी है
एक कीड़ा
बेहद घनी जिंदगी के बीच
कुछ जाले बुनता है
नर्म और गुनगुना !
भला एहसास ||
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