रात की गहराई में
एक पुराने जर्जर किले से
एक परिंदा कूदता है
अद्वैत में और तड़पता है
जमीन बहुत सख्त है
जिस्म को खुरदुरा कर देती है
धायल पंखो से वक्त काटता है
बंद कमरों के झरोखें
नहीं खुलती हैं आसानी से
जकड़न है सदियों पुरानी
पहचाने चेहरों पर गर्द जमी हुई है
और आइना धुंधला गया है
तोड़ना चाहता है वह
उन दीवारों को
जहां उसे दफनाया गया था
उम्मीद की लहरें चाँद तारो को छूती है
पर जमीन और
आसमान के बीच की शुन्यता में
यह तय नहीं कर पाता कि
उड़ान कितना बाकी है और लौटना कहां है ?
चारदीवारी की बीच बैठा परिंदा
परात में सज्जी पडी कई जोड़ी आँखों को देखता है
और सभी आँखें उसे देखती है
डूबना चाहता है
पर समंदर कहाँ है ?
एक पुराने जर्जर किले से
एक परिंदा कूदता है
अद्वैत में और तड़पता है
जमीन बहुत सख्त है
जिस्म को खुरदुरा कर देती है
धायल पंखो से वक्त काटता है
बंद कमरों के झरोखें
नहीं खुलती हैं आसानी से
जकड़न है सदियों पुरानी
पहचाने चेहरों पर गर्द जमी हुई है
और आइना धुंधला गया है
तोड़ना चाहता है वह
उन दीवारों को
जहां उसे दफनाया गया था
उम्मीद की लहरें चाँद तारो को छूती है
पर जमीन और
आसमान के बीच की शुन्यता में
यह तय नहीं कर पाता कि
उड़ान कितना बाकी है और लौटना कहां है ?
चारदीवारी की बीच बैठा परिंदा
परात में सज्जी पडी कई जोड़ी आँखों को देखता है
और सभी आँखें उसे देखती है
डूबना चाहता है
पर समंदर कहाँ है ?
.बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं #
ReplyDeleteआप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन खास है १ जुलाई - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteगहन भाव .... अभी समझने की कोशिश कर रही हूँ .... :)
ReplyDeleteबहुत उम्दा!! जिओ!!
ReplyDeleteओह....! ये गहराई बिना समुन्द्र के ही....
ReplyDeleteरहस्यवाद के रहस्यों से अठखेलिया करती रचना!
कुँवर जी,
अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteउत्तराखंड त्रासदी : TVस्टेशन ब्लाग पर जरूर पढ़िए " जल समाधि दो ऐसे मुख्यमंत्री को"
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372748900818#c4686152787921745134
बेहतरीन
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत और गहन.
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति...... .
ReplyDeleteसूखी आँहों में समुंदर नहीं मिलता ... डूबने के लिए खुले समुंदर की जरूरत है ... गहरी रचना भाव ...
ReplyDeleteपरिंदे से कहो समुंदर में डूबने के विचार मन से निकाल दे । कल को बारिश होगी, उसमें अपने विक्षत परों के धुल कर सुखा लेना, फिर सारा आकाश तुम्हारा होगा ।
ReplyDelete- पता नहीं मैं भावों को समझ सका या नहीं ।