पन्ना पलट दो
अब
अक्षर बिखर जायेंगें
शब्द बचा लो
वरना
आसमान टुकड़ों में
बिखर जायेगा
सब्र उनका टूट चुका है
पहाड़ आज बिखरने लगे है
जो युगों रहे
अडिग और अटल
मासूमियत
उन किताबो की तो देखो
जिन्हें वे पढ़ते हुये
बड़ी बेरहमी से पलटते रहे
वक्त सख्त रहा
किताब के उस हिस्से को तो पढो
जो अब तक मौन था
फट जाये
उससे पहले
इसे बचा लो !!
अब
अक्षर बिखर जायेंगें
शब्द बचा लो
वरना
आसमान टुकड़ों में
बिखर जायेगा
सब्र उनका टूट चुका है
पहाड़ आज बिखरने लगे है
जो युगों रहे
अडिग और अटल
मासूमियत
उन किताबो की तो देखो
जिन्हें वे पढ़ते हुये
बड़ी बेरहमी से पलटते रहे
वक्त सख्त रहा
किताब के उस हिस्से को तो पढो
जो अब तक मौन था
फट जाये
उससे पहले
इसे बचा लो !!
मौन को पढ़ पाना और बचा लेना अभीष्ट!
ReplyDeleteऐसा ही हो!!!
मौन को पढना मुस्किल नही तो आसान भी नही है
ReplyDeleteसशक्त और प्रभावशाली रचना.....
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