शब्द शब्द नज़ारा हो

समन्दर में डूबें
तो मोती हो

आकाश में उडें
तो सितारा हो

जमीन पर चले
तो किनारा हो

आंखों में नींद भरे
तो ख्वाब हो

जगने पर
रौशनी का सहारा हो

साथ चले या ना चले,
बस शब्द शब्द नज़ारा हो

3 comments:

  1. जीवन शायद सुखमय हो जाये तब ...
    अच्छी रचना ...

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