वे मगरूर हुये जाते है
कि
चाँद उनके मुठ्ठी में है
उन्हें नहीं पता कि
झील में कैद चाँद
चांदनी को तरसता है
चाहत की प्यास में
झील सूखता जाता है
उम्र सागर की
चाँद तक रही
पर
धरती पर चाँद
कब आता जाता है
उससे ना मिलना
एक बेबसी है
उनको अब ये बात
नागवार सी गुजरी है
उसकी एक तलाश में
भटकते रहे
दर-ब-दर
तलाश फिर भी तलाश रही
यकीन
कुछ यूं ना था कि
वह मिल जायेगा ऐसे
जिसकी प्यास में
पूरी जिन्दगी गुज़री !!
कि
चाँद उनके मुठ्ठी में है
उन्हें नहीं पता कि
झील में कैद चाँद
चांदनी को तरसता है
चाहत की प्यास में
झील सूखता जाता है
उम्र सागर की
चाँद तक रही
पर
धरती पर चाँद
कब आता जाता है
उससे ना मिलना
एक बेबसी है
उनको अब ये बात
नागवार सी गुजरी है
उसकी एक तलाश में
भटकते रहे
दर-ब-दर
तलाश फिर भी तलाश रही
यकीन
कुछ यूं ना था कि
वह मिल जायेगा ऐसे
जिसकी प्यास में
पूरी जिन्दगी गुज़री !!
कभी ऐसा भी होता जिसकी तलाश में जिंदगी गुज़र जाती है वह एक पल में मिल जाता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteभावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार झुलसाई ज़िन्दगी ही तेजाब फैंककर ,. .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
ReplyDeleteजीवन खत्म हो जाता है कभी कभी तलाश में ... पर मिल नहीं पाटा मरीचिका सा वो ...
ReplyDeleteगहरे भाव ...
सुंदर!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसावधान ! ये अन्दर की बात है.
लाजवाब ! सुन्दर पोस्ट लिखी आपने | पढ़ने पर आनंद की अनुभूति हुई | आभार |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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