झाडू हाथ में थमा
उसे दश्त के हवाले कर दी
चिराग हांथो से छिनकर
सूरज को
रात के हवाले कर दी
उसकी बस्ती में
कोई आता जाता नहीं
उसकी कश्ती को मौजों के
हवाले कर दी
आसमान
सिकुड़ गया कबका
चाँद को
अंधेरो के हवाले कर दी
मौसमों को
क्या पता था कि
बादल सूख जायेंगें
जमीन को
बंजर के हवाले कर दी
गुजरते वक्त में
उसने
खूब निभाया साथ अपनो का
लहू के रंग ने उसे
गैरो के हवाले कर दी !
उसे दश्त के हवाले कर दी
चिराग हांथो से छिनकर
सूरज को
रात के हवाले कर दी
उसकी बस्ती में
कोई आता जाता नहीं
उसकी कश्ती को मौजों के
हवाले कर दी
आसमान
सिकुड़ गया कबका
चाँद को
अंधेरो के हवाले कर दी
मौसमों को
क्या पता था कि
बादल सूख जायेंगें
जमीन को
बंजर के हवाले कर दी
गुजरते वक्त में
उसने
खूब निभाया साथ अपनो का
लहू के रंग ने उसे
गैरो के हवाले कर दी !
मार्मिक रचना
ReplyDelete.बहुत भावनात्मक प्रस्तुति .आभार अमिताभ बच्चन :सामाजिक और फ़िल्मी शानदार शख्सियत .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव सजोये सुन्दर रचना
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत प्रभावी ... हर मंज़र अलग अंदाज़ लिए ...
ReplyDeleteलाजवाब ...