तेरे शहर से
रिश्ता बहुत पुराना था
कारवां बढ़ता गया राहें मिलती रहीं
पर आँखों में कैद
पता
सिर्फ तेरे शहर का रहा
तेरी जमीन से
जुडी हुई यादें बहुत रुलाती रही
रुत बहारों की कई
आती और जाती रहीं
उड़ता रहा वक्त
पाखी बन ,
पर उसका रंगता गया
आसमान की तरह
आगोश में उसके
सितारे बहुत थे
पर चाँदनी
चाँद के इंतज़ार में रही
आज मुद्दतो बाद
मिलना हुआ उनका
पर मिले भी तो
जमीन और आसमान की तरह !
रिश्ता बहुत पुराना था
कारवां बढ़ता गया राहें मिलती रहीं
पर आँखों में कैद
पता
सिर्फ तेरे शहर का रहा
तेरी जमीन से
जुडी हुई यादें बहुत रुलाती रही
रुत बहारों की कई
आती और जाती रहीं
उड़ता रहा वक्त
पाखी बन ,
पर उसका रंगता गया
आसमान की तरह
आगोश में उसके
सितारे बहुत थे
पर चाँदनी
चाँद के इंतज़ार में रही
आज मुद्दतो बाद
मिलना हुआ उनका
पर मिले भी तो
जमीन और आसमान की तरह !
nice
ReplyDeleteयादें उस जमीन की !
ReplyDeleteबेहतरीन।।।।
ReplyDeleteबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति......
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूब जी
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