रहनुमाओं की स्पर्श में चुभन देखा

बदलते चांद को
और 
किनारों पर लहरों को
ठोकर खाते देखा

आंखो का समंदर
नमकीन ठहरा
अक्सर 
पलको पर उमड़ते देखा

बादल बादल
आसमान देखा
पर
कही जमीन हरी तो
कही बंजर देखा

सुना है
वे खींच लाते है बारिशें
पर
रहनुमाओ की पनाह में
उन्हें खाली हाथ देखा

वे जमीन तोड़ते है
और आसमान बाँटते है
उन्हें
जुदा जान को करते देखा ! 

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