चाहिये जो, दरवाजे नही खुलते
कैसे पा लेंगे उसे
जो सड़क के बीचों बीच
किसी सुरंग मे खो गया है
आवाजें भरी पड़ी है
गहन सन्नाटो के बीच
और वहाँ दर्द से बाहर नही है
डोर पर टिकी सांसें
ना जाने कब छूट जाये
खो जायेँगे हम
बिना चेहरा और बिना जिस्म
रोशनी की तलाश होगी और
उम्मीद जिंदा रहेगी अंधेरे में भी
कुछ उजले-पीले एहसासों के बीच
गहरे अंधेरे में कब के उतरे बैठें हैं
सबके सब,
पर कोई राह नही बताता पनाह लेना चाहते है
किसी ताबूत की शक्ल में
उम्मीद एक तलाश है
चाहत चट्टान
और मासूम उँगलियों की हड्डी घिसने लगी है !
कैसे पा लेंगे उसे
जो सड़क के बीचों बीच
किसी सुरंग मे खो गया है
आवाजें भरी पड़ी है
गहन सन्नाटो के बीच
और वहाँ दर्द से बाहर नही है
डोर पर टिकी सांसें
ना जाने कब छूट जाये
खो जायेँगे हम
बिना चेहरा और बिना जिस्म
रोशनी की तलाश होगी और
उम्मीद जिंदा रहेगी अंधेरे में भी
कुछ उजले-पीले एहसासों के बीच
गहरे अंधेरे में कब के उतरे बैठें हैं
सबके सब,
पर कोई राह नही बताता पनाह लेना चाहते है
किसी ताबूत की शक्ल में
उम्मीद एक तलाश है
चाहत चट्टान
और मासूम उँगलियों की हड्डी घिसने लगी है !
फिर भी तलाश जारी रहेगी उम्मीद की और चाहत रहेगी चट्टान सी ...
ReplyDelete