दांत तले जुबान ना दबती
असल में
एहसास खुबसूरत होती तो
फ़ूल नाजुक है
असल में
एहसास खुबसूरत होती तो
फ़ूल नाजुक है
वे कभी ना मुरझाते, साहब
ना यहां कोई जमीर बिकता
और ना ही अंधेरें मे कोई नाच होती
हकिकत तो यह है कि
यहां रोज पिटारे से
रंग-बिरंगे फ़नोवाले
सांप निकलते है
इनकी जुगलबंदी से
धरती छलनी होती है
और आसमान तौला जाता है
हवा में
विष की उमस इतनी की
बादल सूख जाता है और
जमीन बंजर होती चली जाती है
पेड़ काटे गये असीमित
छांव कोई कल्पना है, अब
जो सपनें मे भी नही मिलती है !
एहसास जैसे भी हों फूलों की तरह कभी न कभी मुरझा जाते हैं ... जब तक प्रेम की खाद न मिलती रहे ...
ReplyDeleteshukriya aur aabhar !
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