घुप अंधेरे को
तलाश
एक सितारे की थी
पर वह हमेशा टूटता मिला
एक दीपक जलता है
रात भर
रौशन जमाने में
कौन सा अंधेरा था
जो दीप से रौशन रहा
हम बुझ जाये कि
मिट जाये
ये सवाल हमेशा दो तरफ़ा रहा
जैसे रात के बाद
दिन या दिन के बाद रात हुआ
सफ़र लम्बी है
अकसर सुनने को मिला
जिस्म के मिटते ही
मंजिल का गुमान ना रहा
है कोई जो साथ चलेगा
ताउम्र
हर एक की लिबास
यहां टुकडा-टुकडा मिला!
सफ़र लम्बी है
ReplyDeleteअकसर सुनने को मिला
जिस्म के मिटते ही
मंजिल का गुमान ना रहा...गज़ब
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हर एक पल को अमर बनाते हैं चित्र - विश्व फोटोग्राफी दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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