उन शब्दों का क्या
जो कभी पेड़ या तने हुआ करते थे
वक्त ऐसा है कि
शब्द पत्थराने लगे है
शीतल छाँव के आभाव में
धरती सूखती जा रही है
आसमान बेबस है
निहारता है अब
धुप और छांव
क्षितिज के छोर पर
बैठी प्यासी चिडियां
सूखती नदी को पुकार रही है
वह कौन सा शब्द होगा
जिससे गंगा वापस आयेगी !!
जो कभी पेड़ या तने हुआ करते थे
वक्त ऐसा है कि
शब्द पत्थराने लगे है
शीतल छाँव के आभाव में
धरती सूखती जा रही है
आसमान बेबस है
निहारता है अब
धुप और छांव
क्षितिज के छोर पर
बैठी प्यासी चिडियां
सूखती नदी को पुकार रही है
वह कौन सा शब्द होगा
जिससे गंगा वापस आयेगी !!
बहुत प्रभावी रचना...
ReplyDeleteshabd nahi prayas aur vah bhi satya .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार छोटी मोटी मांगे न कर , अब राज्य इसे बनवाएँगे .” आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteबढ़िया है आदरेया-
ReplyDeleteशुभकामनायें-