चिट्टियों ने बनाये है
घर मिट्टी के
घर मिट्टी के
हे मानव
तुमने तोड़े है
दिल चिट्टियों के
तुमने तोड़े है
दिल चिट्टियों के
वे काटते नही है
जंगल
नही मिटाते
संस्कृतियों को
वे रौपते है दिल
मिट्टी में
जंगल
नही मिटाते
संस्कृतियों को
वे रौपते है दिल
मिट्टी में
हे मानव, तुमने
तोड़े है घर
मिट्टियों के !
तोड़े है घर
मिट्टियों के !
अच्छी पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत खूब ...
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