शीशे में
उतरना क्या हुआ
कहने लगे वो कि
निखर गई
शहर का मौसम
खुशगवार क्या हुआ
नजरों में दिखा
उनको कि
मचल गई
हद तो तब हुई
शाख से टूटकर
एक पत्ता
गिरा जब
वो समझे कि
उतरना क्या हुआ
कहने लगे वो कि
निखर गई
शहर का मौसम
खुशगवार क्या हुआ
नजरों में दिखा
उनको कि
मचल गई
हद तो तब हुई
शाख से टूटकर
एक पत्ता
गिरा जब
वो समझे कि
सच हद ही हुई ..बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteक्या कहने,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
क्या बात है शाख से टूटकर ऐक पत्ता गिरा जब
ReplyDeletelaajawab....
ReplyDeleteस्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteउम्दा सोच
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।