चलते हुए सपनें में
एक तितली
भरती रंग पंखो पर
हरा नीला पीला सब
इंद्रधनुषी
आसमान छूने की चाहत में
चलती बादलों पर
भींगती बारिशो में
और फिर
बहती सात सूरों में
सुरीली हो
मिल जाती समंदर से
किनारो से टकराती
छूती लहरों को
सभी मौसमों में
रंग भरती
थकती नहीं
चलती जाती
उडती डाल डाल और
पात पात
हर सफर हर राह
आसमान ऊँचा सही
पर रंगीन परो पर
चाँद सूरज बिठा
छू लेती गगन
एक तितली चलते हुए
सपनें में !!
एक तितली
भरती रंग पंखो पर
हरा नीला पीला सब
इंद्रधनुषी
आसमान छूने की चाहत में
चलती बादलों पर
भींगती बारिशो में
और फिर
बहती सात सूरों में
सुरीली हो
मिल जाती समंदर से
किनारो से टकराती
छूती लहरों को
सभी मौसमों में
रंग भरती
थकती नहीं
चलती जाती
उडती डाल डाल और
पात पात
हर सफर हर राह
आसमान ऊँचा सही
पर रंगीन परो पर
चाँद सूरज बिठा
छू लेती गगन
एक तितली चलते हुए
सपनें में !!
बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, उसके भाव भी
ReplyDeleteऔर फिर
बहती सात सूरों में
सुरीली हो
मिल जाती समंदर से
किनारो से टकराती
छूती लहरों को
क्या कहने
आशावादी कविता अच्छी है ।
ReplyDeleteआशावादी सोंच पर आधारित रचना , सुंदर बधाई
ReplyDeleteसुंदर भाव .....
ReplyDeletesundar rachna sandhya ....
ReplyDeleteis jaraa-si bhar titli ki jijivishaa bhi gar ham sab men ho jaaye.....!!
ReplyDeleteआसमान ऊँचा सही
ReplyDeleteपर रंगीन परो पर
चाँद सूरज बिठा
छू लेती गगन
एक तितली चलते हुए
सपनें में !!---
Sandhya ji,
idhar vyastataon ke karan blog tak nahin aa saka..lekin aj aya to ek bahut achchii rachna padhne ko mili jisame prakriti,sapane..ashayen sabhi kuchh hai---
Hemant