वह गंगा है
जो फुटकर
अपनी शीतलता का एहसास कराती
एक मासूम कली
जन्म लेने और
मरने से पहले
बोल पडी
मत रोको
पहचानो उसे
बहने दो
कोई श्रोत है वह
सुखते दरख्तो में
ठूँठ शाखो पर
कोंपलों को तो आने दो
तपते जिंदगी को छाँव दो
ममता की मुरत को
आने तो दो !!!
जो फुटकर
अपनी शीतलता का एहसास कराती
एक मासूम कली
जन्म लेने और
मरने से पहले
बोल पडी
मत रोको
पहचानो उसे
बहने दो
कोई श्रोत है वह
सुखते दरख्तो में
ठूँठ शाखो पर
कोंपलों को तो आने दो
तपते जिंदगी को छाँव दो
ममता की मुरत को
आने तो दो !!!
मत रोको
ReplyDeleteपहचानो उसे
बहने दो
कोई श्रोत है वह
..... पूर्णतः सहमत हूँ ..
सुंदर भवाओं से अत्प्रौत भावमयी प्रस्तुति....सुंदर कविता..!!
बहुत भावमयी सुन्दर रचना।
ReplyDeleteगहन भावों का समावेश हर पंक्ति में ।
ReplyDeleteसुखते दरख्तो में
ReplyDeleteठूँठ शाखो पर
कोंपलों को तो आने दो
तपते जिंदगी को छाँव दो
ममता की मुरत को
आने तो दो !!!
बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने।
सादर
बेहद भावमयी प्रसतुति. आभार.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना आभार .....
ReplyDeleteममतामयी रचना .. अच्छी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteexecellent..
ReplyDeletebahut hiaccha likhte hain aap.......
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती....
ReplyDeleteसुंदर , सार्थक संदेश ।
ReplyDelete