खडखडाती हुई पत्तियाँ
मन भागता हुआ कोसो दूर
नदियों ,झीलो, सागर सब से
जगह जगह पर
रोते बिलखते
भूख से
मासूम बच्चें
आसमान धूआँ से भरा हुआ
जल रही है इंसानियत कही
राजनीति की आंच
कहे या
भूखे मन का तांडव
खाक होने पर भी
सुलग रही है जिंदगी यहाँ
वे है कि घात लगाये बैठे है
और उनके एहसास में
तितलियाँ उड रही है हर कही
जंगल है खुंखार जानवरों से भरा पडा
हम है कि खुशबू तलाशते है
जीना सिखते है
आर पार की कहानी पर
नाखूनों के बीच बच्चों की किलकारियाँ
बौराई आंखो में पलती उनकी बेटियाँ
कोठियाँ
ना जाने कितने दिनो की ताताथईयाँ
वह बहुत याद आता है
दूर किसी पहाड पर बैठे परिंदे को
जब बच्चों सा रोता है
उनके बच्चों के लिये !!
मन भागता हुआ कोसो दूर
नदियों ,झीलो, सागर सब से
जगह जगह पर
रोते बिलखते
भूख से
मासूम बच्चें
आसमान धूआँ से भरा हुआ
जल रही है इंसानियत कही
राजनीति की आंच
कहे या
भूखे मन का तांडव
खाक होने पर भी
सुलग रही है जिंदगी यहाँ
वे है कि घात लगाये बैठे है
और उनके एहसास में
तितलियाँ उड रही है हर कही
जंगल है खुंखार जानवरों से भरा पडा
हम है कि खुशबू तलाशते है
जीना सिखते है
आर पार की कहानी पर
नाखूनों के बीच बच्चों की किलकारियाँ
बौराई आंखो में पलती उनकी बेटियाँ
कोठियाँ
ना जाने कितने दिनो की ताताथईयाँ
वह बहुत याद आता है
दूर किसी पहाड पर बैठे परिंदे को
जब बच्चों सा रोता है
उनके बच्चों के लिये !!
खाक होने पर भी
ReplyDeleteसुलग रही है जिंदगी यहाँ
वे है कि घात लगाये बैठे है
और उनके एहसास में
तितलियाँ उड रही है हर कही
भाव पूर्ण अभिवयक्ति
जंगल है खुंखार जानवरों से भरा पडा
ReplyDeleteहम है कि खुशबू तलाशते है
जीना सिखते है
for every one
bahut gahan bhaav bahut achchi abhvyakti.
ReplyDeletebahut hi badhiya.....lajwab
ReplyDeleteसच में लाजवाब ...
ReplyDeleteवे है कि घात लगाये बैठे है
ReplyDelete'घात' के इस आघात को शिद्दत से बयान किया ...
bhaut hi khubsurat bhaav...
ReplyDeleteमार्मिक!!लाजवाब!
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