1.
शब्दो के हंस
झील में कबसे से है
कुछ ठीक ठीक याद नही !!
2.
गमों को कुछ
यूँ दफनाया
कि
किताब में खिलकर
फूल हुआ !
3.
किनारो की बेबसी ऐसी
कि
तुफानो को समेटे हुये है !
4.
रात की स्याही
बढती जाये
सुबह का बादल
जमते जाये
सपनो के तारे बिखरे पडे हैं
पर
आस का चाँद
डुब ना पाये !
5.
तपिश बढती रही
जिंदगी की नमी को
बादल ने चुरा लिया था !
6.
एक दीवार थी कही
गिरा दिया उसने
जिंदगी से भरी
रौशन शब्दों से
रु-ब-रु होती रही !
7.
चिंटियाँ जमीन को
खोंखला करती रही
सुबह सुबकती रही
समंदर उफनता रहा
खोखली जमीन पर
भुकम्प के झटके लगते रहे
दीवारें दरकने लगी है अब !
शब्दो के हंस
झील में कबसे से है
कुछ ठीक ठीक याद नही !!
2.
गमों को कुछ
यूँ दफनाया
कि
किताब में खिलकर
फूल हुआ !
3.
किनारो की बेबसी ऐसी
कि
तुफानो को समेटे हुये है !
4.
रात की स्याही
बढती जाये
सुबह का बादल
जमते जाये
सपनो के तारे बिखरे पडे हैं
पर
आस का चाँद
डुब ना पाये !
5.
तपिश बढती रही
जिंदगी की नमी को
बादल ने चुरा लिया था !
6.
एक दीवार थी कही
गिरा दिया उसने
जिंदगी से भरी
रौशन शब्दों से
रु-ब-रु होती रही !
7.
चिंटियाँ जमीन को
खोंखला करती रही
सुबह सुबकती रही
समंदर उफनता रहा
खोखली जमीन पर
भुकम्प के झटके लगते रहे
दीवारें दरकने लगी है अब !
तपिश बढती रही
ReplyDeleteजिंदगी की नमी को
बादल ने चुरा लिया था
बहुत सुन्दर ...बधाई
बहुत खूब .... हर क्षणिका गहन अर्थ लिए हुये
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं!
ReplyDeleteजिंदगी की नमी को
ReplyDeleteबादल ने चुरा लिया था
जिंदगी से रूबरू सुन्दर क्षणिकाएं
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 05 -07-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... अब राज़ छिपा कब तक रखे .
वाह....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और अर्थपूर्ण क्षणिकाएं...
अनु
एक दीवार थी कही
ReplyDeleteगिरा दिया उसने
जिंदगी से भरी
रौशन शब्दों से
रु-ब-रु होती रही !,aur sabhi bahut badhiya kshnikaye
वाह ...बेहतरीन
ReplyDeleteगहरे और सुन्दर भाव प्रस्तुत करती प्रभावी क्षणिकाएं...
ReplyDeleteकुँवर जी,
गहन अर्थ संजोये सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteगमों को कुछ
ReplyDeleteयूँ दफनाया
कि
किताब में खिलकर
फूल हुआ !
:) :)