एक प्लेट जलेबी में मिठास इश्क सा

जाल है दुनिया,
और भटकन में सुलगता तन और मन
भुलभुलैया जैसी ऊँगलियो की 
उलझन में हर एक एहसास
सांस की अंतिम विदाई जैसा कुछ

आंखे डरी सी
पुतलियाँ छुपी बैठी और सहमी हुई
वे आते है
गर्म सलाखो को दिखाते हुये
सिसकियाँ जब तेज़ होती है
और टकराती है उनके मशीनी सीने से

घाघ है वे
दिखा रहे है हाथी दांत
आप उनके बातो में ना आये
वे अपने झोले का पुरा ख्याल रखते है
जिसमे भरी हुई है सोनपरियो के पंख
और मोल ले लेंगे आपके ईमान
छप रही है रंगीन भाव आजकल
जो जहर है आपके बच्चो के लिये

कलेजे में पत्थर भरते है और आग उगलते भी 
वे जगाते नही सुलाते है घर आंगन
उनके प्राण जिहादी बन
एलान में गोली फुंकते और रौंदते
दौडते भागते इंसान
खुन की प्यास उनकी ऐसी
समुंद्र लांघती हुई  बंदुको से

नंगी हकीकत से थककर
धरती की हरी घासे पीली हो गई
माँ के आंखो की झुर्रियो में परेशानियाँ दबी रही
वह जहाज के न डुबने वाले तरकीबो से मनुहार करती रही
पर समन्दर की अपनी खास सीमा है माँ
जो तू नही समझती जिसमे अमीर लोगो की फालतू चीजे
गरीब सीमाओ पर बहते रहे है
तेरी आह नही जला सकती उन्हे
क्योंकि उनके कुर्सी के नीचे घास है

तुम्हारे रोने और सोने के बीच में
एक सूरज उगता है
लोग बेच देना चाहते है उसे
पर उन्हे यह नही पता कि
गर्म पिघलते लावा को
आखिर किस टोकडे में रखकर बेंचेगे
माना उसे बेंच भी दे वे ,
तो जलते सूरज को रखेंगे किसके माथे

जगह जगह पर है भूखों के टीले
वे आलाव है रुक रुककर फुटती चिंगारियों की
तपने लगे है नंगे हाथ
जश्न है पर औरत के हाथ अभी तक खाली
सुरमई शाम उतरती है और
दाव खेलती है दुर्योधन के चौसर पर
पर किशन नही देते लाज की पट्टी अब
सबकुछ खुल रहा है एक शुरु की तरह से

वे समझते रहे कि ख्वाहिश
एक प्लेट जलेबी है जिसका मिठास इश्क सा है
वे ख्वाब को हथेली पर रख
नरम धूप में उगाना चाहते थे
जिसकी पवित्रता में डुबने की चाहत लिये
मरते आ रहे थे हमसब सदियो से

सांस की तीव्रता पर ख्वाब की गहराई
नींद से भी छोटी है !!!

3 comments:

  1. अच्छे बिम्ब का प्रयोग सुंदर रचना का जन्म , बधाई

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