तू जिस्म नही रूह है

तू रूह है
तस्वुर की खाक
तो जिस्म है

पौ फटने के वक्त
सूरज का आसमान  पर
उगने से पहले
पंक्षियों के कलरव के बीच 
तेरा हो जाना
तू जिस्म नही रूह है

चाँद का चाँदनी से
मिलने के ठीक
पहले के वक्त में
सितारों के बीच 
तेरा हो जाना
तू जिस्म नही रूह है

खुब खुब भींगना
मेध के बरसने के ठीक
पहले के वक्त में
बादलों से झांकना
तेरा हो जाना
तू जिस्म नही रूह है

आग लगने से
पहले की चिंगारी तू
और खाक होने से पहले
तेरा बस हो जाना
तू जिस्म नही रूह है

तुफान के उठने से
ठीक पहले के वक्त में
हल्की और मधूर ब्यार से
सिहरन का पैदा होना
और तबाह होने के पहले
बस तेरा हो जाना
तू जिस्म नही रूह है

डुबने से पहले
उठते भँवर में
चक्कर खाने के बीच
बस तेरा हो जाना
तू जिस्म नही रूह है

15 comments:

  1. डुबने से पहले
    उठते भँवर में
    चक्कर खाने के बीच
    बस तेरा हो जाना
    तू जिस्म नही आत्मा है ! सार्थक अभिवयक्ति....

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  2. सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  3. बहुत सुंदर रचना

    डुबने से पहले
    उठते भँवर में
    चक्कर खाने के बीच
    बस तेरा हो जाना
    तू जिस्म नही आत्मा है !

    क्या कहने

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  4. बहुत सुंदर और भावपूर्ण...

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  5. बहुत सुंदर और भावपूर्ण...

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  6. डुबने से पहले
    उठते भँवर में
    चक्कर खाने के बीच
    बस तेरा हो जाना
    तू जिस्म नही रूह है

    अच्‍छी प्रस्‍तुति !!

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  7. भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  8. सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति , बधाई

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  9. आग लगने से
    पहले की चिंगारी तू
    और खाक होने से पहले
    तेरा बस हो जाना
    तू जिस्म नही रूह है

    बहुत खूब ..गहन अभिव्यक्ति

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  10. बहुत बढ़िया भावनात्मक प्रस्तुति


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  11. तू रूह है
    तस्वुर की खाक
    तो जिस्म है,

    वाह क्या बात कही है. बहुत सुंदर भावमयी प्रस्तुति.

    बधाई.

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  12. mera tujhme fna ho jana ..tu jism nahi rooh hai.....bahut sundar sandhya..

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