अय नदी

गमों से पार हो
अय नदी

जीवन में धार हो
अय नदी

गुजर जाये गर मझधार हो
अय नदी

बन जा सुर ताल
अय नदी

कलकल हो सांसे
अय नदी

गरीबी हो पार
अय नदी

शियासत तू डुबा
अय नदी

बन जा तारण हार
अय नदी

जंगल हो आर पार
अय नदी

पृथ्वी की तू श्रृन्गार
अय नदी

सदियों की गवाह तू
अय नदी

चढे परतों को तू धो
अय नदी

सूखी जमीनें नम कर
अय नदी

मानवियता हो संग संग
अय नदी

सपाट कर गमों के पहाड
अय नदी

वक्त का तू आईना बन
अय नदी

तानाशाहो को दिखा तू
अक्स
अय नदी !!

5 comments: