वक्त के लगाम को
आसमान लिये फिरता
जिसे छूना सभी चाहते
पर डोरी कटी हुई
कुछ उम्मीदों की सिर
ढँक जाती थी छतों से
पर आनाथ और बेबस हिचकियाँ
बिलखती थी सडकों पर और
घसीट दी जाती थी निर्ममता से
चाँद के बरसने के इंतजार में
लोगो का छत पर होना
इतेफाक नही चाहत थी
सुबह से शाम की दौड में
सभी थक जो जाते थे
सुबह डुबकर आता था सतरंगी
पर आंखे थी कि खुलती नही
रंग चढते पर दीवार अंधेरे में थे
मरने के अंदाज पर दुनिया फिदा थी
जीना जितना सलीके से होता
उससे कही ज्यादा मरना
बहुत दिनो तक पहाड खोदते जाना
बिखरते भी किसी रेत की तरह
सोचो जब दरिया डुबोता हो
जमीनी हकीकत को एक एककर
परिश्रम के दिनो में
उंगलियों के कटते ही पसीने चलते
और तपिश पेट में सांप बनकर
ऐंठता था महीनों तक
गाँव बेचैन बैठा रहा शहर के दहाने पर
घासे कटती रही मजलूम और बेबस हाथों से
फकीर की छडी थी कुर्सियों की ताकत
और बारुद तैयार की जाती थी बेबसी की
शिक्षा शहर हो चली थी और
गरीबी विस्फोट !!
आसमान लिये फिरता
जिसे छूना सभी चाहते
पर डोरी कटी हुई
कुछ उम्मीदों की सिर
ढँक जाती थी छतों से
पर आनाथ और बेबस हिचकियाँ
बिलखती थी सडकों पर और
घसीट दी जाती थी निर्ममता से
चाँद के बरसने के इंतजार में
लोगो का छत पर होना
इतेफाक नही चाहत थी
सुबह से शाम की दौड में
सभी थक जो जाते थे
सुबह डुबकर आता था सतरंगी
पर आंखे थी कि खुलती नही
रंग चढते पर दीवार अंधेरे में थे
मरने के अंदाज पर दुनिया फिदा थी
जीना जितना सलीके से होता
उससे कही ज्यादा मरना
बहुत दिनो तक पहाड खोदते जाना
बिखरते भी किसी रेत की तरह
सोचो जब दरिया डुबोता हो
जमीनी हकीकत को एक एककर
परिश्रम के दिनो में
उंगलियों के कटते ही पसीने चलते
और तपिश पेट में सांप बनकर
ऐंठता था महीनों तक
गाँव बेचैन बैठा रहा शहर के दहाने पर
घासे कटती रही मजलूम और बेबस हाथों से
फकीर की छडी थी कुर्सियों की ताकत
और बारुद तैयार की जाती थी बेबसी की
शिक्षा शहर हो चली थी और
गरीबी विस्फोट !!
बहुत सुंदर. क्या कहने।
ReplyDeleteगाँव बेचैन बैठा रहा शहर के दहाने पर
घासे कटती रही मजलूम और बेबस हाथों से
बेहद गहन और सशक्त रचना।
ReplyDeleteगाँव बेचैन बैठा रहा शहर के दहाने पर
ReplyDeleteघासे कटती रही मजलूम और बेबस हाथों से
फकीर की छडी थी कुर्सियों की ताकत
गहन भाव लिए अच्छी प्रस्तुति
भावपूर्ण रचना....
ReplyDeletesarthak achna...
ReplyDeleteगंभीर और सशक्त रचना , बधाई
ReplyDeleteबहुत प्रभावी और गहन अभिव्यक्ति ..
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