हर किस्म के फुल खिला करते है
चमन में खुशबू से ज्यादा
कांटे ही मिला करते है
ना हो उदास यहाँ
कही भी और
किसी भी भेष में
नारयण मिला करते है
जोश में यहाँ जहान कई खोते है
झंडे के पीछे
जीने के कई फंडे है
भेद भाव के नीति पर
जमीन और भाषा के बीच यहाँ
अजीबो-गरीब घमासान
लहलहाती कुर्सियों पर
सता के खेल है और
गरीबी में जलती पेट है
जनतंत्र है बंधू !!
चमन में खुशबू से ज्यादा
कांटे ही मिला करते है
ना हो उदास यहाँ
कही भी और
किसी भी भेष में
नारयण मिला करते है
जोश में यहाँ जहान कई खोते है
झंडे के पीछे
जीने के कई फंडे है
भेद भाव के नीति पर
जमीन और भाषा के बीच यहाँ
अजीबो-गरीब घमासान
लहलहाती कुर्सियों पर
सता के खेल है और
गरीबी में जलती पेट है
जनतंत्र है बंधू !!
ना हो उदास यहाँ
ReplyDeleteकही भी और
किसी भी भेष में
नारयण मिला करते है
bilkul sahi kaha...
sareek aur sarthak abhivaykti....
ReplyDeleteसटीक लिखा है ..समसामयिक रचना
ReplyDeleteWaah! Bahut behtreen likha hai...
ReplyDeleteसटीक लिखा है
ReplyDeleteबहुत खूब ..
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली सटीक अभिव्यक्ति
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