यकीन ना था

तुम आओगे
और भींगना होगा
इस इसकद्र
यकीन ना था

धीमी
और उल्झी सांसो में
आग होगी
यकीन ना था

दस्तक हुई
दरवाजे पर और
धडकने होंगी
यकीन ना था

एहसास के आसमान पर   
शब्दो के गिरह खुल जायेंगे
हौले से
यकीन ना था

वक्त देखते ही देखते
कुछ यूँ बदल जायेगा
यकीन ना था

बंद किवाडो के बीच 
निगाहें सजदे में होगी
यकीन ना था

तू आये या ना आये
कदमो का चलना होगा
अब कांटो पर 
यकीन ना था !!

5 comments:

  1. तू आये या ना आये
    कदमो का चलना होगा
    अब कांटो पर
    यकीन ना था !!

    बहुत खूब!

    सादर

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  2. bahut khoob...bahut sundar...

    www.poeticprakash.com

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  3. बेहद सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति।...

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  4. बहुत सुन्दर रचना....
    सादर

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  5. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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