जलती हुई होनी चाहिये
एक कविता
भूख की आग की तरह
जिसमे जले एक एक अक्षर
विषमता के
खाक हो विषम धारणाये
जरूर एक कविता हो
अन्न से पैदा हो उर्जा
और गरीबी लाठी टेकना छोडे
विषम लपट में
मरने और मिटने वालो पर
जरुर एक कविता हो
बंजर जमीन पर जख्म रिसते रहे
धोखा फलते और फुलते रहे
कांटो के अततायी चूभन पर
जरुर एक कविता हो
बढ रहे नाखूनो के
काटने के सही तरीको पर और
उनके उंगलियो से बचा लिये गये
मासूमो के खुशी पर
जरुर एक कविता हो
बंदरो की टोली में
नन्हें मासूम बिलखते रहे
रिश्तो की गर्मी जो खोते रहे
उनके अरमानो को सवारने पर
जरुर एक कविता हो
पत्थर तोडती माँओ के
पूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
गरीबी के जिस्म पर
तार तार आंचल में
उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर
जरुर एक कविता हो !!
एक कविता
भूख की आग की तरह
जिसमे जले एक एक अक्षर
विषमता के
खाक हो विषम धारणाये
जरूर एक कविता हो
अन्न से पैदा हो उर्जा
और गरीबी लाठी टेकना छोडे
विषम लपट में
मरने और मिटने वालो पर
जरुर एक कविता हो
बंजर जमीन पर जख्म रिसते रहे
धोखा फलते और फुलते रहे
कांटो के अततायी चूभन पर
जरुर एक कविता हो
बढ रहे नाखूनो के
काटने के सही तरीको पर और
उनके उंगलियो से बचा लिये गये
मासूमो के खुशी पर
जरुर एक कविता हो
बंदरो की टोली में
नन्हें मासूम बिलखते रहे
रिश्तो की गर्मी जो खोते रहे
उनके अरमानो को सवारने पर
जरुर एक कविता हो
पत्थर तोडती माँओ के
पूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
गरीबी के जिस्म पर
तार तार आंचल में
उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर
जरुर एक कविता हो !!
बंजर जमीन पर जख्म रिसते रहे
ReplyDeleteधोखा फलते और फुलते रहे
कांटो के अततायी चूभन पर
जरुर एक कविता हो ... प्रभावशाली
अन्न से पैदा हो उर्जा
ReplyDeleteऔर गरीबी लाठी टेकना छोडे
विषम लपट में
मरने और मिटने वालो पर
जरुर एक कविता हो
सशक्त रचना ..
पत्थर तोडती माँओ के
ReplyDeleteपूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
गरीबी के जिस्म पर
तार तार आंचल में
उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर
जरुर एक कविता हो....
जबरदस्त भाव भरी कविता..
Welcome to www.funandlearns.com
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बेहद गहन और ह्रदयस्पर्शी कविता।
ReplyDeleteशाश्वत की काव्यात्मक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआपकी कविता ने सोचने पर मजबूर कर दिया|
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना|
ब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.
ReplyDeleteस्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़
कविता और शब्द ...दोनों ही अलग से अपनी मौजूदगी करवा रहे हैं ...भाव बहुत अच्छे हैं ...और शब्द शब्द ..मन को स्पर्श करता है ...आभार
ReplyDeleteपत्थर तोडती माँओ के
ReplyDeleteपूरे दिन के कमाई में भूख एक बिवाई रही
गरीबी के जिस्म पर
तार तार आंचल में
उनके चाँद-तारो के पेट ना भर पाने पर
जरुर एक कविता हो !!----Bahut prabhavshali aur dil ko chhu lene vali kavita...Sandhya ji hardik badhai....
गहन अभिवयक्ति.......
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