जहाँ सूरज डूबेगा

मजमा है
निराशा और आशा का
कस्बा में सुबह से ही 
चहल पहल बढ गई है

हवा पतियों पर झुल रही है
शाखो पर कोंपले
जाने पहचाने शक्लों से 
गुफ्तगू कर रहें है

ऋतुओं के आने का वक्त तय है
वे बेवक्त नही आती
सूरज शाम के आते ही डुब जाता
समंदर में
अंधेरे ढुंढ लेते तारों को
रात गहराने पर 

मजमा में आये लोग
कतार में है
उन्हे चलना है अभी
दूर तक 
जहाँ सूरज डूबेगा 
शाम का होना तय है !!!


4 comments:

  1. मजमा में आये लोग
    कतार में है
    उन्हे चलना है अभी
    दूर तक
    जहाँ सूरज डूबेगा
    शाम का होना तय है !!! bhaut hi khubsurat....

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  2. सुन्दर अभिवयक्ति.....

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  3. गहरे भावों को लिए सुंदर अभिव्यक्ति ...समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  4. सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति

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