मछलियां अब बारिश में
भींगनें को मजबूर है
क्योंकि समंदर कल शाम से
औंधे मूंह पड़ा है
साहिल की उदासी में
चाँद झलकता है
लहरों की जल समाधि में
सूखी पडी है नमी जमीन की
शोर है किनारों पर
दिल सूना धडकनो से
छुपा ली है लम्स समंदर ने
लहरों के
अपने दामन में
धरती के सीने पर
समंदर नही उफनता अब
क्योकि चाँद पर पानी मिला है !!!
भींगनें को मजबूर है
क्योंकि समंदर कल शाम से
औंधे मूंह पड़ा है
साहिल की उदासी में
चाँद झलकता है
लहरों की जल समाधि में
सूखी पडी है नमी जमीन की
शोर है किनारों पर
दिल सूना धडकनो से
छुपा ली है लम्स समंदर ने
लहरों के
अपने दामन में
धरती के सीने पर
समंदर नही उफनता अब
क्योकि चाँद पर पानी मिला है !!!
मछलियां अब बारिश में
ReplyDeleteभींगनें को मजबूर है
क्योंकि समंदर कल शाम से
औंधे मूंह पड़ा है
क्या बात है, बहुत सुंदर
बधाई
चाँद पे पानि मिला है ... क्या खूब लिखा है ... पर समुन्दर तो फिर भी चंद को पाने के लिए उछलेगा ...
ReplyDeleteधरती के सीने पर
ReplyDeleteसमंदर नही उफनता अब
क्योकि चाँद पर पानी मिला है
behatreen likha hai.....
waah..kyunki chand par pani mila hai..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव। बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete------
ब्लॉग समीक्षा की 23वीं कड़ी।
अल्पना वर्मा सुना रही हैं समाचार..।
लहरों कि जल समाधि में ज़मीं का सूखा होना ... बहुत खूब
ReplyDeleteशोर है किनारों पर
दिल सूना धडकनो से
छुपा ली है लम्स समंदर ने
लहरों के
अपने दामन में
सुन्दर अभिव्यक्ति
शोर है किनारों पर
ReplyDeleteदिल सूना धडकनो से
छुपा ली है लम्स समंदर ने
लहरों के
अपने दामन में
बहुत ही बढ़िया।
सादर
वाह .... बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteविरोधाभास के माध्यम से सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमछलियां अब बारिश में
ReplyDeleteभींगनें को मजबूर है
क्योंकि समंदर कल शाम से
औंधे मूंह पड़ा है ..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..सादर !!
i like u status and u post
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