गमों से गमों की बात हुई
ना तुमने कहा ना मैंने सुना
रुत बदल बदल गई
ना मुझे दिखा ना तुझे दिखा
बहार गुनगुनाने लगी
ना तुम हंसे ना मै हंसी
चमन में फूल खुब खिलें
ना तुनें छुआ ना मैंने छुआ
रात खुब रौशन रही
ना मै जली ना तुम जले
खुब डुबा भी आसमान
ना मै भींगी ना तुम भींगें
नींद ख्वाब ख्वाब चली
ना तुम सोये ना मै सोयी
उम्र की सांझ भी ढल गई
ना मैंने जिया ना तुमने जिया
ना 'मै' में कोई आग था
ना 'तुम' में कोई शबाब था
हुआ जो था गज़ब हुआ
धरा-गगन के बीच हुआ !!
ना तुमने कहा ना मैंने सुना
रुत बदल बदल गई
ना मुझे दिखा ना तुझे दिखा
बहार गुनगुनाने लगी
ना तुम हंसे ना मै हंसी
चमन में फूल खुब खिलें
ना तुनें छुआ ना मैंने छुआ
रात खुब रौशन रही
ना मै जली ना तुम जले
खुब डुबा भी आसमान
ना मै भींगी ना तुम भींगें
नींद ख्वाब ख्वाब चली
ना तुम सोये ना मै सोयी
उम्र की सांझ भी ढल गई
ना मैंने जिया ना तुमने जिया
ना 'मै' में कोई आग था
ना 'तुम' में कोई शबाब था
हुआ जो था गज़ब हुआ
धरा-गगन के बीच हुआ !!
बड़ी ऊहापोह की सी स्थिति को बयां किया है ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकल 22/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
'' तेरी गाथा तेरा नाम ''
ना 'मै' में कोई आग था
ReplyDeleteना 'तुम' में कोई शबाब था …………कितनी देर से पता चला
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआपकी यह लाजवाब रचना कुछ इस संवाद की तरह लगी...
ReplyDeleteहम, हम हैं तो क्या हम है तुम,
तुम हो तो क्या तुम हो :)
अच्छी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteउम्र की सांझ भी ढल गई
ReplyDeleteना मैंने जिया ना तुमने जिया ..... behtareen !!!
बहुत सुन्दर रचना... वाह!
ReplyDeleteसादर.
गहरे भाव।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
कुछ अलग सी....
ReplyDeleteअच्छी रचना...
साथ होते हुए भी.....एक अलगाव ....ठन्डे, जमे हुए संबंधों की सार्थक अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteachhi rachna..
ReplyDeleteसुंदर भाव अभिव्यक्ती..
ReplyDeleteबेहतरीन रचना...
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