भूख हो कविता

लिख दो वह सब
जहाँ भूख ना जलती हो
मन की आग पर

भूख हो
एक कविता
जिसे सुबह शाम पढी जाये

जिसे कमाने निकले
सुबह को
लौटना हो जिसपर
सांझ को

सकून से सोये
रात को
गर्वांवित होये कविता !!

7 comments:

  1. भूख एक सादा पन्ना
    लिखनी होती है कविता भी कहानी भी संस्मरण भी
    भविष्य की ज़ुबान भी ...

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  2. भूख ही कविता बन जाए तो चाँद भी रोटी बन जायगा ...
    बहुत खूब ..

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  3. बिलकुल सही कहा आपने....प्रभावशाली रचना.....

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  4. कविता तो भूख ही होती है.

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  5. बहुत खूब ..भूख कविता की हो तो लाजवाब है.. सुन्दर रचना

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  6. बढिया।
    ख्‍याल अच्‍छे हैं।

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