लिख दो वह सब
जहाँ भूख ना जलती हो
मन की आग पर
भूख हो
एक कविता
जिसे सुबह शाम पढी जाये
जिसे कमाने निकले
सुबह को
लौटना हो जिसपर
सांझ को
सकून से सोये
रात को
गर्वांवित होये कविता !!
जहाँ भूख ना जलती हो
मन की आग पर
भूख हो
एक कविता
जिसे सुबह शाम पढी जाये
जिसे कमाने निकले
सुबह को
लौटना हो जिसपर
सांझ को
सकून से सोये
रात को
गर्वांवित होये कविता !!
bahut sundar bhaav.
ReplyDeleteभूख एक सादा पन्ना
ReplyDeleteलिखनी होती है कविता भी कहानी भी संस्मरण भी
भविष्य की ज़ुबान भी ...
भूख ही कविता बन जाए तो चाँद भी रोटी बन जायगा ...
ReplyDeleteबहुत खूब ..
बिलकुल सही कहा आपने....प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteकविता तो भूख ही होती है.
ReplyDeleteबहुत खूब ..भूख कविता की हो तो लाजवाब है.. सुन्दर रचना
ReplyDeleteबढिया।
ReplyDeleteख्याल अच्छे हैं।