लगातार कई शब्द एक साथ
रात की चादर पर बिछती रही
अंधेरों ने रौशनी को
जादुई एहसास में पिरो रखा था
सूरज पैसो की तरह खनकता हुआ निकलता
और कुर्सियो के पैरो तले डूब जाता था
हालांकि घास धरती पर
भूख और जिन्दगी के बीच की जद्दोजहद में
हरा रंग बचा लेना चाहती थीं
लगातार भूस्खलन से
दरारें पड गई थी दीवारों में
छतो से होकर रौशनी नहीं आती थी
गढ्ढे अपनी पुरानी शक्ल में
उम्मीदो पर पानी फेर देते थे
अँधेरा गहराने पर घर की तलाश में
सन्नाटें
दरवाजो को खटखटाते थें
बड़ी उम्मीद से ,पर
हर बार शिकस्त होती रही साँसों की
सियासत से
और उम्मीद आग में जलती रही
आग का गोला और समन्दर दोनों
बड़े करीब दिखते थे बावजूद इसके
तपिश जिन्दगी की कम ना होती थी
समंदर शांत था पर
लहरों की उछाल में संघर्ष जारी रहा
सभी दिशाओं में कुछ गीने-चुने लोग
मानव मन की कटोरी में बचे हुए थे
जो सूखते हुए उम्मीद पर
प्रेम की हथेलियों से नमी डाल रहे थे
ताकि पृथ्वी को
उसके सम्पूर्ण गोलाई में बचाया जा सके !!
रात की चादर पर बिछती रही
अंधेरों ने रौशनी को
जादुई एहसास में पिरो रखा था
सूरज पैसो की तरह खनकता हुआ निकलता
और कुर्सियो के पैरो तले डूब जाता था
हालांकि घास धरती पर
भूख और जिन्दगी के बीच की जद्दोजहद में
हरा रंग बचा लेना चाहती थीं
लगातार भूस्खलन से
दरारें पड गई थी दीवारों में
छतो से होकर रौशनी नहीं आती थी
गढ्ढे अपनी पुरानी शक्ल में
उम्मीदो पर पानी फेर देते थे
अँधेरा गहराने पर घर की तलाश में
सन्नाटें
दरवाजो को खटखटाते थें
बड़ी उम्मीद से ,पर
हर बार शिकस्त होती रही साँसों की
सियासत से
और उम्मीद आग में जलती रही
आग का गोला और समन्दर दोनों
बड़े करीब दिखते थे बावजूद इसके
तपिश जिन्दगी की कम ना होती थी
समंदर शांत था पर
लहरों की उछाल में संघर्ष जारी रहा
सभी दिशाओं में कुछ गीने-चुने लोग
मानव मन की कटोरी में बचे हुए थे
जो सूखते हुए उम्मीद पर
प्रेम की हथेलियों से नमी डाल रहे थे
ताकि पृथ्वी को
उसके सम्पूर्ण गोलाई में बचाया जा सके !!