जमीन से निकलनेवाले
पेड-पौधो,कीडे-मकौडो की
कही कोई बात नही होती
कहाँ से आती है हरियाली और
कहाँ कहाँ है सुंदरतम चीजे
इसकी जानकारी कही कोई नही होती
रोज धरती अपने जगह से
थोडा थोडा खिसक रही है
कही कोई चर्चा नही
आसमान भी हररोज
थोडा कम नीला हो जाता है
इतनी बडी घटना पर भी
रात की गहराई नही मापी जाती
रिश्तो में खुन कम
पानी ज्यादा भरने लगा है
और इसकद्र रोज थोडा
यह भी मरने लगा है
सभी भाग रहे वक्त की तरह
बिना सोचे
परिवर्तन हमें किसी विनाश की संकेत दे रहे
पर
अनुमान लगाने से भी परहेज क्यो है
हम आसमान पर नही तो
धरती पर क्यो है ?
पेड-पौधो,कीडे-मकौडो की
कही कोई बात नही होती
कहाँ से आती है हरियाली और
कहाँ कहाँ है सुंदरतम चीजे
इसकी जानकारी कही कोई नही होती
रोज धरती अपने जगह से
थोडा थोडा खिसक रही है
कही कोई चर्चा नही
आसमान भी हररोज
थोडा कम नीला हो जाता है
इतनी बडी घटना पर भी
रात की गहराई नही मापी जाती
रिश्तो में खुन कम
पानी ज्यादा भरने लगा है
और इसकद्र रोज थोडा
यह भी मरने लगा है
सभी भाग रहे वक्त की तरह
बिना सोचे
परिवर्तन हमें किसी विनाश की संकेत दे रहे
पर
अनुमान लगाने से भी परहेज क्यो है
हम आसमान पर नही तो
धरती पर क्यो है ?